
इसके बाद स्कूल के पास २७ कदम की दूरी पर शराब के ठेके को जला दिया गया !! मेरा तो यही आह्वान है सभी अभिभावकों से कि स्कूल की व्यवस्था और सुरक्षा,शिक्षा का लिखित ब्यौरा मांगे और जिम्मेदारी मांगे ताकि आगामी भविष्य में ऐसी कोई घटना नही हो सके !!
फैशन का जलवा नही एक विचार को बढ़ावा दिया जा रहा है ! एक सोच को कि मॉडर्न बनो, आधुनिक बनो और उस आधुनिकता में लोग नंगा होना शुरू कर रहे है और अपनी आँखों से बलात्कार करने वाले बेशर्म उसको बढ़ावा और उसपर प्रशंसा के फसीदे कस रहे है !! ये मेरे कॉलेज में भी होता था और कई जगह होता भी है ! कपड़े पहनने की आजादी है !! देश आजाद है ! मै कुछ भी पहनूं ! ऐसे जवाब किसी मैक्ले के विचार वंशज की देन है जिसका वो नाम रोशन कर रही है !! कोशिश करे फ़िल्मी,टीवी के ग्लैमर को कॉपी न करने की क्योंकि स्त्रियों,लड़कियों का आभूषण उसका अंग नही उसका स्वाभिमान,मर्यादा,व्यवहार,गुण व् संस्कार है !! अंग का रंग,अंग का प्रदर्शन उन लोगों की परिभाषा है जो आपको इसमें सम्मान और प्रशंसा की बात बताकर अपनी आँखों से बलात्कार करके अपनी हवस बुझाते है !! स्कूल टाइम से लेकर कॉलेज और मार्किट एरिया तक ऐसे कई युवा मिलेंगे जो इसे आजादी की परिभाषा बताते है क्योंकि रोज ऐसे चीज देखने के आदि अब उन्हें मोबाइल से जाकर लाइव,प्रैक्टिकल करने में ये सब मजा आता है !! ये सारी बाते ऐसी है जो सब जानते है पर शर्म के मारे लिखने से कतराते है पर ये सच है और अटल है !! हमारे संस्कार और सोचने के तरीके पर आघार अप्रत्यक्ष रूप से इन्ही फ़िल्मी,टीवी सीरियल,अश्लील पोस्टर और इंटरनेट के दुरुपयोग का परिणाम है !! जब तक अभिभावक ये सोचकर पीछे हटेंगे कि छोड़ो इसके किस्मत में यही लिखा था य सबके साथ थोड़ी न होगा तो मेरी बात जान लीजिये !! जब आपके साथ ऐसा हो तो मत सोचना कोई क्यों नही मेरा साथ आगे आया !! अपने बच्चो को स्कूल में पढ़ाने वाले एक यूनियन बनाये जो कि स्कूल मैनेजमेंट को आड़े हाथो ले सके और उसपर दबाव बना सके ! पूरे भारत में रयान इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य से ये लिखित ब्यौरा और विश्वासपत्र माँगा जाये कि हमारे बच्चे के साथ कुछ भी होता है उसकी जिम्मेदारी आप की होगी !! लिखित इसीलिए बोल रहा हूँ क्योंकि लिखित का भार कानून में ज्यादा होता है !!
अब आपको बस इतना ही कह सकता हूँ कि कुछ टीवी मीडिया और पुलिस वाले ऐसे पापी है एक पैसा खाकर खबरे दबाते है दूसरे पैसा लेकर दोषी छिपाते है !! जब तक आप जागोगे नही तब तक ये हमारा शोषण ऐसे ही करते रहेंगे !! कोशिश करे कि विरोध वैचारिक हो क्योंकि आज वैचारिक क्रांति की सख्त आवश्यकता है !!
फैशन का जलवा नही एक विचार को बढ़ावा दिया जा रहा है ! एक सोच को कि मॉडर्न बनो, आधुनिक बनो और उस आधुनिकता में लोग नंगा होना शुरू कर रहे है और अपनी आँखों से बलात्कार करने वाले बेशर्म उसको बढ़ावा और उसपर प्रशंसा के फसीदे कस रहे है !! ये मेरे कॉलेज में भी होता था और कई जगह होता भी है ! कपड़े पहनने की आजादी है !! देश आजाद है ! मै कुछ भी पहनूं ! ऐसे जवाब किसी मैक्ले के विचार वंशज की देन है जिसका वो नाम रोशन कर रही है !! कोशिश करे फ़िल्मी,टीवी के ग्लैमर को कॉपी न करने की क्योंकि स्त्रियों,लड़कियों का आभूषण उसका अंग नही उसका स्वाभिमान,मर्यादा,व्यवहार,गुण व् संस्कार है !! अंग का रंग,अंग का प्रदर्शन उन लोगों की परिभाषा है जो आपको इसमें सम्मान और प्रशंसा की बात बताकर अपनी आँखों से बलात्कार करके अपनी हवस बुझाते है !! स्कूल टाइम से लेकर कॉलेज और मार्किट एरिया तक ऐसे कई युवा मिलेंगे जो इसे आजादी की परिभाषा बताते है क्योंकि रोज ऐसे चीज देखने के आदि अब उन्हें मोबाइल से जाकर लाइव,प्रैक्टिकल करने में ये सब मजा आता है !! ये सारी बाते ऐसी है जो सब जानते है पर शर्म के मारे लिखने से कतराते है पर ये सच है और अटल है !! हमारे संस्कार और सोचने के तरीके पर आघार अप्रत्यक्ष रूप से इन्ही फ़िल्मी,टीवी सीरियल,अश्लील पोस्टर और इंटरनेट के दुरुपयोग का परिणाम है !! जब तक अभिभावक ये सोचकर पीछे हटेंगे कि छोड़ो इसके किस्मत में यही लिखा था य सबके साथ थोड़ी न होगा तो मेरी बात जान लीजिये !! जब आपके साथ ऐसा हो तो मत सोचना कोई क्यों नही मेरा साथ आगे आया !! अपने बच्चो को स्कूल में पढ़ाने वाले एक यूनियन बनाये जो कि स्कूल मैनेजमेंट को आड़े हाथो ले सके और उसपर दबाव बना सके ! पूरे भारत में रयान इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य से ये लिखित ब्यौरा और विश्वासपत्र माँगा जाये कि हमारे बच्चे के साथ कुछ भी होता है उसकी जिम्मेदारी आप की होगी !! लिखित इसीलिए बोल रहा हूँ क्योंकि लिखित का भार कानून में ज्यादा होता है !!
अब आपको बस इतना ही कह सकता हूँ कि कुछ टीवी मीडिया और पुलिस वाले ऐसे पापी है एक पैसा खाकर खबरे दबाते है दूसरे पैसा लेकर दोषी छिपाते है !! जब तक आप जागोगे नही तब तक ये हमारा शोषण ऐसे ही करते रहेंगे !! कोशिश करे कि विरोध वैचारिक हो क्योंकि आज वैचारिक क्रांति की सख्त आवश्यकता है !!
जयश्रीराम
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